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अमर शहीद रामप्रसाद ‘बिस्मिल’

वन्दे मातरम्।
वन्दे मातरम्।
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हैफ हम जिसपे की तैयार थे मर जाने को
जीते जी हमने छुड़ाया उसी कशाने को
क्या ना था और बहाना कोई तडपाने को
आसमां क्या यही बाकी था सितम ढाने को
लाके गुरबत में जो रखा हमें तरसाने को

फिर ना गुलशन में हमें लायेगा शैयाद कभी
याद आयेगा किसे ये दिल-ऐ-नाशाद कभी
क्यों सुनेगा तु हमारी कोई फरियाद कभी
हम भी इस बाग में थे कैद से आजाद कभी
अब तो काहे को मिलेगी ये हवा खाने को
…..
….

देश सेवा का ही बहता है लहु नस-नस में
हम तो खा बैंटे हैं चित्तोड़ के गढ़ की कसमें
सरफरोशी की अदा होती हैं यों ही रसमें
भाले-ऐ-खंजर से गले मिलाते हैं सब आपस में
बहानों, तैयार चिता में हो जल जाने को

….

कोई माता की ऊंमीदों पे ना ड़ाले पानी
जिन्दगी भर को हमें भेज के काला पानी
मुँह में जलाद हुए जाते हैं छले पानी
अब के खंजर का पिला करके दुआ ले पानी
भरने क्यों जाये कहीं ऊमर के पैमाने को

मयकदा किसका है ये जाम-ए-सुबु किसका है
वार किसका है जवानों ये गुलु किसका है
जो बहे कौम के खातिर वो लहु किसका है
आसमां साफ बता दे तु अदु किसका है
क्यों नये रंग बदलता है तु तड़पाने को

दर्दमंदों से मुसीबत की हलावत पुछो
मरने वालों से जरा लुत्फ-ए-शहादत पुछो
चश्म-ऐ-खुश्ताख से कुछ दीद की हसरत पुछो
कुश्त-ए-नाज से ठोकर की कयामत पुछो
सोज कहते हैं किसे पुछ लो परवाने को

नौजवानों यही मौका है उठो खुल खेलो
और सर पर जो बला आये खुशी से झेलो
कौंम के नाम पे सदके पे जवानी दे दो
फिर मिलेगी ना ये माता की दुआएं ले लो
देखे कौन आता है ईर्शाथ बजा लाने को


हैफ – Alas!
कशाने – House
शैयाद – Hunter
नाशाद – Cheerless, Joyless
जाम-ए-सुबु – जाम से भरी सुराही
गुलु – neck
अदु – Enemy
हलावत – Relish, Deliciousness
चश्म-ऐ-खुश्ताख – audacious eyes
कुश्त-ए-नाज – one who is killed by flattery
सोज – Burning, Heat, Passion
ईर्शाथ – Order, Command

pt bismil
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