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madhubala ki yadey

वन्दे मातरम्।
वन्दे मातरम्।
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हिन्दी सिनेमा की सबसे सुन्दर अभिनेत्री कौन? इस सवाल को लेकर अनेक अवसरों पर सर्वेक्षण कराए गए, तो एक ही नाम उभरकर बार-बार सामने आया और वह है- मधुबाला। मधुबाला को हमारे बीच नहीं रहे चालीस साल पूरे हो रहे हैं। इसके बावजूद उनकी सुंदरता के चर्चे कम नहीं हुए और आज भी वह दो पीढ़ियों के दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं।

मधुबाला को रजतपट की वीनस कहा जाता है। ज्योतिषशास्त्र कहता है कि शुक्र कलात्मक गतिविधियों, सौन्दर्य और भौतिक समृद्धि की प्रतीक है। मधुबाला में यह तमाम गुण एक साथ उभरकर आए हैं। मधुबाला के समकालीनों में अनेक अभिनेत्रियाँ जैसे नरगिस, गीताबाली, नूतन, माला सिन्हा और वहीदा रहमान सौन्दर्य के मानदण्डों पर खरी उतरी हैं। लेकिन सौन्दर्य में जब नम्बर वन की बात चलती है, तो मधुबाला और सिर्फ मधुबाला पर आकर ठहर जाती है।

मधुबाला की मौत के बाद भी अनेक हसीन तारिकाएँ अपने सौन्दर्य का जादू जगाती परदे पर आई हैं। उनमें हेमा मालिनी, रेखा, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षितGet Fabulous Photos of Madhuri से लेकर ऐश्वर्या रायAishwarya Rai sensational picture gallery तक के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं, लेकिन फिल्मों में रंगीन हो जाने और प्रचार माध्यमों की बहुलता के चलते इन्हें लोकप्रियता खूब मिली। मधुबाला जैसी सादगी, सहजता, भोलापन, मासूमियत और सबसे बड़ी बात अपने सौन्दर्य से बेखबर रहते चेहरे पर सदैव अल्हड़पन की जो अदा उनमें थी, वह इन समस्त तारिकाओं में नदारद है।

मधुबाला का जन्म वेलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी 1933 को दिल्लीClick here to see more news from this city में हुआ था। बचपन का नाम था मुमताज जहाँ। दिल्ली आकाशवाणी के बच्चों के कार्यक्रम के दौरान संगीतकार मदनमोहन के पिता ने मुमताज को देखा, जो देखते ही रायबहादुर चुन्नीलाल की आँखों को भा गई। बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘बसंत’ में एक बाल कलाकार की भूमिका मुमताज को दी गई। इसके बाद रणजीत स्टुडियो की कुछ फिल्मों में अभिनय और गाने गाकर मुमताज ने अपना फिल्मी सफर आगे बढ़ाया।

बेबी मुमताज को पहली बार नायिका बनाया डॉयरेक्टर केदार शर्मा ने। फिल्म ‘नीलकमल’ में राजकपूर उनके नायक थे। लेकिन सफलता, लोकप्रियता और लाइम लाइट में मधुबाला नाम से वे परिचित हुईं फिल्म ‘महल’ (1950) से। इस सस्पेंस फिल्म में उनके नायक थे अशोक कुमार। महल ने कई इतिहास रचे। एक इतिहास मधुबाला का भी बना। इस तरह हिन्दी सिनेमा को एक ताजगी भरा चेहरा मधुबाला के रूप में मिला।

मधुबाला का रुपहला संसार जितना सुहाना है, निजी जिंदगी उतनी अवसाद भरी और अंधेरी है। दिलीप कुमार हो या प्रेमनाथ हो या उनके दीवाने दर्शक, मधुबाला इनमें से किसी की न हो सकीं। दिलीप कुमार और मधुबाला तो ‘नया दौर’ के समय अदालत में आमने-सामने थे। यह अबोला ताजिंदगी चला। यहाँ तक कि ‘मुगले आजम’ के सेट पर रोमांटिक दृश्य करते हुए भी दोनों ने एक-दूसरे से बातचीत नहीं की थी। मधुबाला फिदा हुई उस दौर के गायक-नायक किशोर कुमार पर, जो फिल्म के सेट पर बच्चों जैसी शरारतें करते थे। फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में एक लड़की भीगी-भागी-सी गाना गाकर किशोर ने मधुबाला का दिल ऐसे चुराया कि दोनों ने शादी कर ली। लेकिन ‘किस्मत में शादी का सुख नहीं लिखा था। शादी के बाद पता चला कि मधुबाला के दिल में एक छोटा-सा छेद है। लाचार होकर मधुबाला बरसों तक बिस्तर पर लेटी रहीं। किशोर सेवा करते रहें और 23 फरवरी 1969 को वह अलविदा कह चली गई।

मधुबाला की प्रमुख फिल्में :
महल, मधुबाला, आराम, तराना, बादल, मुगले आजम, अमर, मिस्टर एंड मिसेज 55, काला पानी, चलती का नाम गाड़ी, हावड़ा ब्रिज, बरसात की रात, हाफ टिकट।

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